Thursday, August 30, 2012

याद करते हैं हम, तुम्हे कितना ...


पलकों की पालकी में जितने भी प्यार के हैं पल

निकल पड़ें हैं मेरे नैनों से, लेकर के नीर की शक्ल


तेरे सपनों के दामन को भिगो दे जितना ये झरना

समझना की उतना ही याद करते हैं हम तुम्हे आजकल

Sunday, July 15, 2012

तेरा मुझसे दूर चले जाना...

इतवार की शाम की वो आहट, कमबख्त दिन का ढल जाना
तेरे क़दमों का रुख पलटकर, मुझसे दूर की ओर हो जाना 

तेरा आँखें मूँद लेना, अपनी गर्दन झुका के उदासी को छिपाना
कभी मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर, चुप बैठे होठों से लगाना

पैरों की उँगलियों से फर्श पे मेरा नाम लिखना, झूठा सा मुस्कुराना
"फिर कब मिलेंगे" ये पूछती पलकों में तेरा आंसुओं को छिपाना

कहीं रो न दो इस डर से लफ़्ज़ों को सताना, फिर मुड के चले जाना
दो कदम चल के रुकना, फिर पलटकर मेरे सीने से चिपक जाना

जुदाई के लम्हों का धीरे से पास आना, यूँ मेरे दिल का ठहर जाना
बर्दाश्त नहीं होता मुझसे अब, तेरा इस तरह मुझसे दूर चले जाना

ये वक़्त बहुत अच्छा था...


तेरा ये दोस्त, कमीना था बस दिखता भोला बच्चा था
ये दोस्ती का रिश्ता, नाजुक था फिर भी पक्का था

मीठे पलों  की गिनती उसने भले नहीं करी होगी
पर उसका साथ, जितना भी था,  एकदम  सच्चा था

मस्ती, मजाक, आंसू, दर्द, हैरत हों या फिर परेशानी
पुच्के, किस्से, हंसी, अजीब हरकतें हों या कोई शैतानी

इनकी तसवीरें नही मुमकिन, न उसके पास कोई और निशानी
बस उसका दिल है गवाह, की तेरे संग गुजरा ये वक़्त बहुत अच्छा था

Friday, July 13, 2012

मर्ज़ मिटाने की जिद


आज यूँ ही बैठे बिठाए, मेरी आँखें नम हो गयी

ख्याल जो आया कि आधी ज़िन्दगी खत्म हो गयी


दवा ढूंढ रहा हूँ जिसकी, उस मर्ज़ का तो पता नहीं

पर वो मर्ज़ मिटाने की जिद में, ये सांसें कम हो गयीं


Monday, May 14, 2012

हमें प्यार करना नहीं आता !!


माना हमें आपकी तरह यूँ पलकें बिछाये इंतज़ार करना नहीं आता
आपकी मोहब्बत से सजी इस किस्मत पे ऐतबार करना नहीं आता

माना अपने बेपनाह इश्क का इजहार, सरे बाज़ार करना नहीं आता
पर इसका मतलब ये तो नहीं साहिबा, की हमें प्यार करना नहीं आता

Saturday, May 5, 2012

किस्मत बदकिस्मतों की..


अपने हिस्से का आसमान तलाशता, वो पंखहीन बेबस परिंदा

डर डर कर सांसें लेता, सागर किनारे बना वो मिटटी का घरोंदा


रास्ते का वो कंकर, जो ठोकरें खा खा कर आ गया है जाने कहाँ

किसी मूक व्यक्तित्व के वो खामोश शब्द, जो कभी न हुए बयाँ


जो कली खिली शमशानों में, जो शमा तन्हा जली वीरानों में

जो जाम प्यासे लबों को छूने से पहले ही, टूट गए मैखानों में


गुलाब की वो पंखुड़ी, जिसे एक गुमनाम लाश मिली गले लगाने को

बारिश की वो बूँद, जिसे गर्म रेगिस्तान की गोद मिली सो जाने को


वो सल्तनतों के बे-ताज हुए शहंशाह, वो सनम जिसे चाहत न मिली

वो पथिक जो मंजिल पे न पहुंचा, वो रूह जिसे कभी राहत न मिली


ये सब जीवन व्यर्थ हुए क्यूंकि, कभी किस्मत से इनके हाथ न मिले

कश्ती साहिल पे पहुँच ही नही सकती, जब तक उसे लहरों का साथ न मिले

Sunday, April 29, 2012

जय सचिन तेंदुलकर


जय जय भारत, जय सचिन तेंदुलकर
जय क्रिकेट क्रीडा के अजेय  धुरंधर

राष्ट्र धरोहर, आदर्श व्यक्तित्व राशि
हर सांस है जिनकी, रनों की प्यासी

अद्भुत मोहक शैली, दर्शनीय बल्लेबाजी
दुर्लभ तकनीकें भी है जिनकी दासी

कीर्तिमानों के धनी, खेल में धेर्यवान
उनको सुलभ सारे अविजित कीर्तिमान

हर विशेषज्ञ, विपक्षी द्वारा सम्माननीय
बेदाग़ अमिट छवि, हुनर अविश्वश्नीय

स्ट्रेट ड्राइव, स्कूप, फ्लिक और पेडल स्वीप
मिलकर बनते उनके आक्रमण की नींव

लेग्ब्रेक, ओफ्फ्ब्रेक, गूगली भी इनकी दुरुस्त
प्रेरणा स्रोत्र सबके, क्षेत्ररक्षण में भी है चुस्त

पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार और पद्म विभूषण
इनके ताज में जड़ा राजीव गाँधी खेल रत्न

अपने समर्पण से देते आलोचकों के दावे चीर
हजारों बाधाओं को पार कर बन गये शतकवीर

क्रिकेट के बेताज शहंशाह, हिंदुस्तान की शान
चाहने वाले करोड़ों दिल उन्हें कहते हैं "भगवान्"
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